हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण चतुर्दशी को मनायाजानेवाला यह महापर्व शिवरात्रि साधकों को इच्छित फल, धन, सौभाग्य,समृद्धि, संतान व आरोग्यता देनेवाला है।
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रुद्राक्ष का अर्थ है रुद्र अर्थात शिव की आंख से निकला अक्ष यानी आंसू।रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव के आंसुओं से मानी जाती है। इस बारे में पुराण मेंएक कथा प्रचलित है। उसके अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपने मनको वश में कर संसार के कल्याण के लिए सैकड़ों सालों तक तप किया।एक दिन अचानक ही उनका मन दु:खी हो गया। जब उन्होंने अपनी आंखेंखोलीं तो उनमें से कुछ आंसू की बूंदे गिर गई।
इन्हीं आंसू की बूदों से रुद्राक्ष नामक वृक्ष उत्पन्न हुआ। शिवमहापुराण कीविद्येश्वरसंहिता में रुद्राक्ष के 14 प्रकार बताए गए हैं। सभी का महत्व वधारण करने का मंत्र अलग-अलग है। इन्हें माला के रूप में पहनने सेमिलने वाले फल भी भिन्न ही हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इन रुद्राक्षों को महाशिवरात्रि के दिनविधि-विधान से धारण करने से विशेष लाभ मिलता है। जानिए रुद्राक्ष केप्रकार, उन्हें धारण करने के मंत्र तथा होने वाले लाभ के बारें में-
इन्हीं आंसू की बूदों से रुद्राक्ष नामक वृक्ष उत्पन्न हुआ। शिवमहापुराण कीविद्येश्वरसंहिता में रुद्राक्ष के 14 प्रकार बताए गए हैं। सभी का महत्व वधारण करने का मंत्र अलग-अलग है। इन्हें माला के रूप में पहनने सेमिलने वाले फल भी भिन्न ही हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इन रुद्राक्षों को महाशिवरात्रि के दिनविधि-विधान से धारण करने से विशेष लाभ मिलता है। जानिए रुद्राक्ष केप्रकार, उन्हें धारण करने के मंत्र तथा होने वाले लाभ के बारें में-
1- एक मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप है। यह भोग और मोक्ष प्रदानकरता है। जहां इस रूद्राक्ष की पूजा होती है, वहां से लक्ष्मी दूर नहीं जातीअर्थात जो भी इसे धारण करता है वह कभी गरीब नहीं होता।
धारण करने का मंत्र- ऊँ ह्रीं नम:
2- दो मुखवाला रुद्राक्ष देवदेवेश्वर कहा गया है। यह संपूर्ण कामनाओं औरमनोवांछित फल देने वाला है। जो भी व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता हैउसकी हर मुराद पूरी होती है।
धारण करने का मंत्र- ऊँ नम:
3- तीनमुख वाला रुद्राक्ष सफलता दिलाने वाला होता है। इसके प्रभाव से जीवन मेंहर कार्य में सफलता मिलती है तथा विद्या प्राप्ति के लिए भी यह रुद्राक्षबहुत चमत्कारी माना गया है। धारण करने का मंत्र- ऊँ क्लीं नम:
4- चारमुख वाला रुद्राक्ष ब्रह्माका स्वरूप है। उसके दर्शन तथा स्पर्श से धर्म, अर्थ,काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है। धारण करने का मंत्र- ऊँ ह्रीं नम:
5 - पांचमुख वाला रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र स्वरूप है। वह सब कुछ करने में समर्थ है।सबको मुक्ति देने वाला तथा संपूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है।इसको पहनने से अद्भुत मानसिक शक्ति का विकास होता है। धारणकरने का मंत्र- ऊँ ह्रीं नम:
6 - छ: मुखवाला रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप है। इसे धारण करने वालाब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है। यानी जो भी इस रुद्राक्ष को पहनताहै, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। धारण करने का मंत्र- ऊँ ह्रीं हुं नम:
7- सातमुख वाला रुद्राक्ष अनंगस्वरूप और अनंग नाम से प्रसिद्ध है। इसे धारणकरने वाला दरिद्र भी राजा बन जाता है। यानी अगर गरीब भी इस रुद्राक्षविधिपूर्वक पहने तो वह भी धनवान बन सकता है। धारण करने का मंत्र- ऊँहुं नम:
8 - आठ मुखवाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरवस्वरूप है। इसे धारण करने वाला मनुष्यपूर्णायु होता है। यानी जो भी अष्टमुखी रुद्राक्ष पहनता है उसकी आयु बढ़जाती है और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। धारण करने कामंत्र- ऊँ हुं नम:
9 - नौ मुखवाले रुद्राक्ष को भैरवतथा कपिल-मुनि का प्रतीक माना गया है। भैरवक्रोध के प्रतीक हैं और कपिल मुनि ज्ञान के। यानी नौमुखी रुद्राक्ष को धारणकरने से क्रोध पर नियंत्रण रखा जा सकता है साथ ही ज्ञान की प्राप्ति भी होसकती है। धारण करने का मंत्र- ऊँ ह्रीं हुं नम:
10 - दस मुखवाला रुद्राक्ष भगवान विष्णु का रूप है। इसे धारण करने वाले मनुष्यकी संपूर्ण कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। धारण करने का मंत्र- ऊँ ह्रीं नम:
11 - ग्यारहमुखवाला रुद्राक्ष रुद्ररूपहै। इसे धारण करने वाला सर्वत्र विजयी होता है।यानी जो इस रुद्राक्ष को पहनता है, किसी भी क्षेत्र में उसकी कभी हार नहींहोती। धारण करने का मंत्र- ऊँ ह्रीं हुं नम:
12- बारहमुखवाले रुद्राक्ष को धारण करने पर मानो मस्तक पर बारहों आदित्यविराजमान हो जाते हैं। यानी उसके जीवन में कभी इज्जत, शोहरत, पैसाया अन्य किसी वस्तु की कोई कमी नहीं होती। धारण करने का मंत्र- ऊँ क्रौंक्षौं रौं नम:
13 - तेरहमुख वाला रुद्राक्ष विश्वदेवोंका रूप है। इसे धारण कर मनुष्य सौभाग्य औरमंगल लाभ प्राप्त करता है।
धारण करने का मंत्र- ऊँ ह्रीं नम:
14 - चौदहमुख वाला रुद्राक्ष परम शिवरूप है। इसे धारण करने पर समस्त पापोंका नाश हो जाता है।
धारण करने का मंत्र- ऊँ नम:
शिवमहापुराण के अनुसार रुद्राक्ष को आकार के हिसाब से तीन भागों मेंबांटा गया है-
1- उत्तमश्रेणी- जो रुद्राक्ष आकार में आंवले के फल के बराबर हो वह सबसेउत्तम माना गया है।
2- मध्यमश्रेणी- जिस रुद्राक्ष का आकार बेर के फल के समान हो वह मध्यमश्रेणी में आता है।
3- निम्नश्रेणी- चने के बराबर आकार वाले रुद्राक्ष को निम्न श्रेणी में गिना जाताहै।
वहीं जिस रुद्राक्ष में अपने आप डोरा पिरोने के लिए छेद हो गया हो, वहउत्तम होता है।
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