Saturday, 2 December 2017

एक मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व,एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि


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एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का प्रतीक मन जाता है | इसे धारण करने वाले पर भगवान शिव की कृपा रहती है | इसे सभी प्रकार के रुद्राक्षों में दुर्लभ माना गया है | यह मन की एकाग्रता बढ़ता है और अध्यात्म में रूचि जगाता है |

एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ मन की एकाग्रता , शिवकृपा, सूर्य ग्रह की अनुकूलता, सूर्यकृत अशुभ योगो का नाश यदि जन्मपत्रिका में सूर्य नीच या ख़राब स्थिति में हो या फिर ग्रहण योग का निर्माण कर रहा हो अथवा सूर्य ग्रह की दशा चल रही हो तो इस रुद्राक्ष को धारण करना बहुत अच्छा होता है | यदि आप राजनीति में सफलता चाहते हैं तो भी यह आपके लिए लाभदायक रहेगा | इसे धारण करने वाले को समाज में मान सम्मान प्राप्त होता है.

एक मुखी रुद्राक्ष काजू के समान अर्थात अर्धचंद्राकार स्वरुप में प्राप्त होते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष गोल आकार में सरलता से प्राप्त नहीं होता हैं। क्योकि गोलाकार में मिलना दुर्लभ मानागया हैं।स्वयं शिव का स्वरूप माने जाने वाला यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करने वाला होता है.
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दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि, दो मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व

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दो मुखी रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप द्वारा नियंत्रित है । इस रुद्राक्ष के धारण करने से पति पत्नी में या परिवार में परस्पर श्रदधा और विश्वास की प्राप्ति होती है तथा वे सत्सन्तति से युक्त होकर सफल गृहस्थ जीवन व्यतीत करने में सक्षम होते है । यह विशेष रूप से गुरु-शिष्य, पिता-पुत्र व मित्रोके सबंधोमे मतभेदों को दूरकर एकता पैदा करता है ।

दो मुखी रूद्राख गौ हत्या से लगने वाले पाप से मुक्ति दिलाने वाला होता है। यह रूद्राक्ष अपने-आप में आलौकिक शक्ति धारण किये रहता है। द्विमुखी रूद्राक्ष को शरीर के किसी भी अंग में धारण से मानसिक शन्ति एंव पारिवार में आपसी प्रेम व सौहार्द्ध बना रहता है। यदि कार्य व व्यापार में निरन्तर हानि हो रही है, तो दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से लाभ मिलता है। मन, बुद्धि, विवेक पर इस रूद्राक्ष का विशेष प्रभाव रहता है। 

जिन जाताकों के वैवाहिक जीवन में आपसी अनबन की स्थिति बनी रहती है तो वह लोग पति व पत्नी दोनों को दो मुखी रूद्राक्ष भिमन्त्रित करके गले में धारण करने से शीघ्र ही मतभेद दूर होकर उनमें एकता व परस्पर प्रेम की भावना बलवती होने लगती है। जिन युवक-युवितियों के विवाह में बिलम्ब या बाधा आ रही है, उन्हे यह रूद्राक्ष धराण करने से शुभ परिणाम मिलते है।
दो मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान अर्ध नागेश्वर का स्वरुप है। जो लोग दोमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं या उसकी नित्य पूजा करते हैं वह गौ वध पाप से मुक्त हो जाते हैं तथा सभी मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा भी देखा गया है की जो सुहागन औरतेदो मुखी रुद्राक्ष धारण करती हैं वे सदा सुहागन ही मृत्यु कों प्राप्त करती हैं।

ऐसे व्यक्ति जो दोमुखी रुद्राक्ष धारण करते है या उसकी पूजा करते हैं उनके घर में सभी प्रकार की सामग्रियां उपस्थित रहती हैं। जो साधक शिव शक्ति की आराधना करते हैं ऐसे साधको कों दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।

यह बेहद दुर्लभ और कल्याणकारी रुद्राक्ष है। यह रुद्राक्ष दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए लाभकारी होता है।यहरुद्राक्ष कई तरह की शारीरिक बिमारियों जैसे मोटापे,हृद्य दोष आदि से मुक्ति दिलाता है। कर्क राशि के जातकों के लिए दो मुखी रुद्राक्ष लाभकारी है।दोमुखी रुद्राक्ष- दोमुखी रुद्राक्ष को देवदेवेश्वर कहा गया है। सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसे धारण करना चाहिए

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तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि,तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व

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तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि देव का स्वरूप माना गया है. इस त्रिमुखी मुखी रुद्राक्ष के सत्तारूढ़ ग्रह मंगल हैं. यह रूद्राक्ष स्त्री हत्या जैसे पापों से मुक्ति दिलाता है. इस रूद्राक्ष को पहनने से व्यक्ति हीन भावनाओं से मुक्त होता है. इसे धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है. यह तीन मुखी रुद्राक्ष चिंताओं मानसिक परेशानियों को समाप्त करने में सहायक होता है.तीन मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का रूप भी माना गया है.

तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरुप माना गया है | जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को भी शुद्ध कर देती है उसी प्रकार अग्नि का स्वरुप होने के कारण यह रुद्राक्ष शरीर को शुद्ध करने में सहायक होता है |

तीन मुखी रुद्राक्ष के लाभ-जिस व्यक्ति का मन किसी काम में ना लगता हो या जीवन जीने का आनन्द समाप्त हो चुका हो, शरीर किसी न किसी प्रकार के बुखार से पीड़ित रहता हो, भोजन खाने पर पेट की अग्नि मंद होने के कारण से भोजन के ना पचने के रोग में यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभदायक साबित होता है | अग्नि को तीव्र करके पाचक क्षमता बढ़ने से चेहरा पे तेज एवं शौर्य एवं बल की प्राप्ति कराता है | सभी प्रकार की आपदाओं से मुक्त कराने में तीन मुखी रुद्राक्ष अच्छा काम करता है | नौकरी करने वाले और पेट से सम्बंधित कष्ट पाने वालों के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत लाभदायक है | ग्रंथों के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से नारी हत्या के पाप से भी मुक्ति मिलनी संभव हो सकती है |

त्रिमुखी मुखी रुद्राक्ष के लाभ इसे पहने से रक्त में शुद्धता बनी रहती है, व्यक्ति स्वस्थ और सक्रिय रहता है. इसे धारण करने से आत्मविश्वास और ऊर्जा शक्ति में वृद्धि होती है. यह खेल में सफलता प्रदान करता है. जैसे अग्नि प्रत्येक वस्तु को शुद्ध कर देती है उसी प्रकार तीन मुखी पहनने वाला व्यक्ति भी अपने पापों का शमन कर देता है. पापों से मुक्त हो शुद्ध होकर सात्विक जीवन जीता है.
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चार मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व, 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि


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चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है। इसे ब्रह्मा तथा देवी सरस्वती का प्रतिनिधि माना गया है। चार-मुखी रुद्राक्ष चतुर्मुख ब्रह्माजीका प्रतिरूप होने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थो को देने वाला है। इसका धारक धनाढ्‌य, आरोग्यवान, ज्ञानवान बन जाता है | चार मुखी रुद्राक्ष वृद्धिदाता है | जिस बालक की बुद्धि पढ़ने में कमजोर हो या बोलने में अटकता हो उसके लिए भी यह उत्तम है | चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से नर हत्या का पाप समाप्त होता है।

चार मुखी रुद्राक्ष में ऊपर से नीचे तक दो रेखाएँ सामन दूरी पर बनी होती हैं और ये इस फल के खिलते ही बनना शुरू हो जाती है और अपना आकार लेती है| यह रुद्राक्ष विश्व रचयिता ब्रह्मा का प्रतीक है और और धारक को चार लाभ प्रदान करता है| धार्मिक विश्वास, आर्थिक मजबूती, शारीरिक हित और मोक्ष प्राप्ति|

चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक रोगों में शांति मिलती है तथा धारण का स्वास्थ्य ठीक रहता है | इसे धारण करने से नर-हत्या का पाप दूर होता है | बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति तथा सभी प्रकार के मानसिक रोग दूर होते हैं. शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम रहता है यह रुद्राक्ष सृजनशील व्यक्ति के लिए बहुत उपयोगी है| यह रुद्राक्ष डा. इंजीनियर, अध्यापक आदि को भौतिक कार्य करने में सहायता प्रदान करता है। चार मुखी रुद्राक्ष मिथुन राशि के लिए शुभ होता है।

4 मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा जी का स्वरूप माना गया है यह चारों वेदों का रूप है। मनुष्य को धर्म, अर्थ काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला है इसे धारण करने से मानसिक रोग दूर होते है। तथा मन में सात्विक विचार उत्पन्न होते हैं एवं धर्म में आस्थाबढ़ती है।
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पांच मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व, 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि


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पंचमुखी रुद्राक्ष साक्षात् रूद्र का रूप है। इसका अधिपति ग्रह वृहस्पति है।वृहस्पति ग्रह की प्रतिकूलता के निवारण के लिए इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। यह पोखराज रत्न से भी अधिक प्रभावशाली है। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने वालों को सुख, शांति तथा प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। ह्रदय रोगियों के लिए तो यह रामबाण ही है। इससे आत्मविश्वास, मनोबल तथा ईश्वर के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुरक्षित विकल्प है जो हर किसी – स्त्री, पुरुष, बच्चे, हर किसी के लिए अच्छा माना जाता है। यह सेहत और सुख की दृष्टि से भी फायदेमंद हैं, जिससे रक्तचाप नीचे आता है और स्नायु तंत्र तनाव मुक्त और शांत होता है।पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से संतान एवं धन सुख प्राप्त होता है.
5 मुखी रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा के बचने के एक असरदार कवच की तरह काम करता है। कुछ लोग नकारात्मक शक्ति का इस्तेमाल करके दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह अपने आप में एक अलग विज्ञान है। अथर्व वेद में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है कि कैसे ऊर्जा को अपने फायदे और दूसरों के अहित के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। इन सभी स्थितियों में रुद्राक्ष कवच की तरह कारगर हो सकता है।
5 मुखी रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है। जो आपके लिए आप की ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं।

पंचमुखी रुद्राक्ष धारण विधि तथा मन्त्र

पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए तदुपरांत गृह में स्थित मंदिर में विधिपूर्वक विनियोग, ऋष्यादिन्यास,करादिन्यास, हृदयादिन्यास तथा ध्यान करना चाहिए उसके बाद पंचमुखी रुद्राक्ष के लिए निर्धारित मन्त्र का जप करना चाहिए।
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छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि, 6 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व


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छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसके संचालक ग्रह शुक्र है। इसे शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है। इसे धारण करने से आरोग्यता,श्री एवं शक्ति प्राप्त होती है।छह मुखी रुद्राक्ष अपने उपासक को सफ़लता, महिमा, प्रसिद्धि, ताकत, बुद्धि, शक्ति, और बहुत कुछ दिलाता है।छह मुखी रुद्राक्ष को पहनने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा व्यक्ति आंतरिक सुषुप्त शक्तियाँ जागृत होती है।

छः मुखी रुद्राक्ष बुद्धि को बढ़ाता है और यादास्त तेज करता है। 6 मुखी रुद्राक्ष विद्वानों और छात्रों और रचनात्मक कार्यों से जुड़े व्यक्तियों के लिए अत्यंत लाभकारी है| श्वास रोग, रक्तचाप और हृदय सम्बंधित रोगों के उपचार में भी 6 मुखी रुद्राक्षकाफी सहायक साबित होता है| इसे धारण करने के बाद धारक मानिसक तौर पर सतर्क और जोश से भरपूर रहता है| और धन-संपत्ति और जायदाद सम्बंधित समस्याओं से धारक को सुरक्षित रखता है|

छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है | यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को दाई भुजा में धारण करना चाहिए | इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेत्रित्व करने का गुण आ जाता है | भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है | छह मुखी रुद्राक्ष के साथ यदि दाई और बाई ओर एक एक पांच मुखी का रुद्राक्ष भी धारण किया जाए तो अति उत्तम होता है |भगवान कार्तिके की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सांसारिक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करके जीवन के स्तर को अति उत्तम बनाता है |

बचपन में जिन बालकों की बुद्धि अधिक तीव्र नहीं होती या परीक्षा के समय में बालक को चिंता होती है, ऐसे बालकों को दोपांच मुखी के बीच में एक छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से परीक्षा में सफलता मिलती है इसलिए विशेष कर सभी बालकों को जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने चाहिए |आरोग्यता तथा दीर्घायु प्राप्ति के लिए वृष व तुला राशि तथा मिथुन, कन्या, मकर व कुंभ लग्न वाले जातक इसे धारण कर लाभ उठा सकते हैं। यह विद्या, ज्ञान, बुद्धि का प्रदाता है.

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सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि, 7 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व


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सात मुखी रुद्राक्ष के ऊपर सात धारियां हैं, तो वह सातमुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। इस रुद्राक्ष को सप्तऋषियों का प्रतीक माना जाता है। सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अथवा इसकी नित्य पूजा करने से मनुष्य को प्रसिद्धि, आर्थिक लाभ, सम्मान, पदोन्नति, प्राप्त होती है।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण से दृश्य अदृश्य ऋषि मुनियों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है. सात मुखी रुद्राक्ष ज्ञान, बल सुरक्षा प्रदान करते हुते आर्थिक उन्नति देता है. यह व्यापार और नौकरी में भी लाभकारी होता है. यह शरीर में सम्मोहन आकर्षण भी बढ़ाता है. अच्छी किस्मत, धन और शक्ति को बढा कर उपासक को जीवन में, खासकर व्यवसाय में, सफ़लता दिलाता है। अच्छी सेहत पाने और बचाए रखने में भी यह रुद्राक्ष मदद करता है।

सात मुखी रुद्राक्ष के धारण से एैसे मनुष्य जिनका भाग्य उनका साथ नहीं देता और नौकरी या व्यापार में अधिक लाभ नहीं होता एैसे जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इसके धारण से धन का अभाव व् दरिद्रता दूर होकर व्यक्ति को धन, सम्पदा, यश, कीर्ति एवं मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है चूँकि इस रुद्राक्ष पर लक्ष्मी जी की कृपा मानी गई है और लक्ष्मी जी के साथ गणेश भगवान की भी पूजा का विधान है इसलिए इस रुद्राक्ष को गणपति के स्वरुपआठ मुखी रुद्राक्ष के साथ धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है |

ग्रन्थों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि देव का प्रभाव माना गया है इसलिए जो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हों या जोड़ो के दर्द से परेशान हों उनके लिए शनि देव की कृपा प्राप्त होने के कारण से यह रुद्राक्ष लाभदायक हो सकता है |
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आठ मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व, 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि


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आठ मुखी रुद्राक्ष पर आठ धारियां होती हैं | अष्टमुखी रुद्राक्ष गणेश भगवान स्वरूप है | आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से अन्न, वस्त्र, स्वर्ण, आदि का कभी अभाव नहीं होता। आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को भगवान गणेश की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है। आठ मुखी रुद्राक्ष आठ दिशाओं और आठ सिद्धियों का नेतृत्व करता है।

आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है। इसको धारण करने से गणेश भगवान की कृपा बनी रहती है, जिससे लेखन-कला, ऋद्धि-सिद्धि आदि की प्राप्ति होती है तथा दुर्घटनाओं एवं शत्रुओं से रक्षा होती है, प्रेत बाधाका डर नहीं रहता। देवाधिदेव महादेव के चक्षु नीर आठ मुखी रुद्राक्ष को विघ्नहर्ता गणपति का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है। अतः इसे साक्ष्यात गजानन के रूप में मान कर धारण करने से कई संभावित अनहोनिया स्वतः ही टल जाती हैं।

अष्ट मुखी रुद्राक्ष साक्षात काल भैरव है | तथा गणेश जी का स्वरुप माना गया है | यह रुद्राक्ष अति बलशाली होता है | इसको धारण करने से शत्रु वश में हो जाते है | गणेश स्वरुप होने के कारण यह रुद्राक्ष ऋद्धि - सिद्धि और लक्ष्मी प्रदान करने वाला है | इसके साथ ही कोर्ट कचेहरी के मामलों में भी सफलता मिलती है | दुर्घटनाओं से भी रक्षा होती है | भूत प्रेत की बाधाओं को दूर करके साहस और शक्ति देना है | इसको धारण करने से अन्न, धन्न, और स्वर्ण में वृद्धि होती है |
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नौ मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व, 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि

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नौ मुखी रुद्राक्ष नवशक्ति संपन्न नवदुर्गा का प्रति‍‍निधि है. इसे भैरव का स्वरूप माना जाता है. यह रुद्राक्ष माँ दुर्गा के स्वामित्व में उनकी नौ शक्तियों को अपने में समाहित किए हुए है.नौ-मुखी रुद्राक्ष आदिकालीन माँ महामाया जगदम्बा का प्रतीक है जो इस विश्व की जननी है| नवदुर्गा का प्रतिनिधि प्रतीक यह रुद्राक्ष बहुत ही फलदायक है और धारक को शांति प्रदान करता है| माँ शक्ति के उपासकों को यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना.

यह रुद्राक्ष नव शक्ति से संपन्न है इसके देवता भगवती दुर्गा हैं इससे धारक को नौ तीर्थो-पशुपतिमुक्तिनाथकेदारनाथ,बद्रीनाथजगन्नाथसोमनाथपारसनाथवैद्यनाथ आदि तीर्थो का फल प्राप्त होता है इसे धर्मराज का स्वरूप माना गया है।नौ मुखी रुद्राक्ष धर्मराज का स्वरुप है। इसे धारण करने से सहनशीलता, वीरता, साहस, कर्मठता में वृद्धि होती है। संकल्प में दृड़ता आती है व किसी भी प्रकार का यमराज का भय नहीं रहता।

नौ मुख वाले रुद्राक्ष में नौ धारियां होती है । नौ मुख वाले रुद्राक्ष को नवशक्ति सम्पन्न माना जाता है । दुर्गाजी के सभी नव -अवतारों की पूर्ण शक्तियाँ इससे समायी होती है ,इसलिए यह पहनने वाले को अलौकिक -दिव्य शक्तियाँ भी देता है । नौ मुख वाले रुद्राक्ष में नौ तीर्थों -पशुपतिनाथ ,केदारनाथ ,सोमनाथ ,बद्रीनाथ ,विश्वनाथ ,जगन्नाथ ,पारसनाथ व बैद्यनाथ के दर्शन पुण्य होते हैं । वैसे तो सभी रुद्राक्ष शिव -शक्ति के रूप है ,किन्तु नौ मुख वाले रुद्राक्ष देवी माता के उपासकों के लिए विशेष हितकर होता है ,इसको धारण करने से वीरता ,धीरता ,साहस ,कर्मठता ,पराक्रम ,सहनशीलता तथा यश की वृद्ध होती है । यह रुद्राक्ष पहनने वाले को नवरात्रों के व्रत के समान पुण्य देता है तथा पति -पत्नी ,पिता -पुत्र के मतभेदों को दूर कर तन -मन से सदा पवित्र रखता है ।
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दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ व विधि, 10 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

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दशमुखी रुद्राक्ष साक्षात जनार्दन अर्थात् विष्णु का स्वरूप है दशमुखी रुद्राक्ष के धारण करने से मनुष्य के सर्व ग्रह शांत रहते हैं और पिशाच, बेताल, ब्रह्मराक्षस, सर्प इत्यादि का भय नहीं होता। दस मुखी रुद्राक्ष पहनने से दशों दिशाओं में यश फैलता है तथा दसों इंद्रियों द्वारा किए गए समस्त पापों का अंत हो जाता है | इस रूद्राक्ष की पूजा करने से गृह शांति प्राप्त होती है|

दस-मुखी रुद्राक्ष प्रभु विष्णु का प्रतीक है| इस रुद्राक्ष को धारण करके विष्णु के सभी दस अवतारों का आह्वान किया जा सकता है| इन्सान के शरीर की दस इन्द्रियों में इच्छाओं का वास होता है और यह इच्छा से प्रोत्साहित होती हैं| दस मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है। इसे धारण करने से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं।

दस मुखी रुद्राक्ष : दस मुख वाले रुद्राक्ष में दस धारियां होती है । दस मुख वाला रुद्राक्ष भगवान विष्णु स्वरूप है ,इसेदशावतार -मत्स्य ,राम ,कृष्ण ,कच्छप ,नृसिंह ,वाराह ,वामन ,परशुराम ,बुद्ध तथा कल्कि के स्वरूप का प्रतीक माना जाता हैं।
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ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ व विधि, 11 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे


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ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रुद्र रूप माना गया है। इसे धारण करने वाले जातक को हनुमान जी की कृपा हासिल होती है। इस बेहद चमत्कारिक रुद्राक्ष को संतान प्राप्ति के लिए बेहद अहम माना जाता है। भगवान इन्द्र का प्रतीक माने जाने वाले इस रुद्राक्ष को किसी भी वर्ग, जाति या राशि के जातक बिना भेदभाव धारण कर सकते हैं। इसे सोमवार, शुक्रवार या एकादशी के दिन ही धारण करना चाहिए।
इस रुद्राक्ष के अधिपति देवता हनुमान जी है | यह धारक को सही निर्णय लेने की क्षमता देता है | यह बल व बुद्धि प्रदान करता है तथा शरीर को बलिष्ट व निरोगी बनाता है |यह ध्यान व साधना में भी बहुत प्रभावी है | विदेश में स्थापित होने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए इस रुद्राक्ष का धारण लाभकारी है | इस रुद्राक्ष के धारणकरता को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता |

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को पहनने के फायदे:

1-एकादशमुखी रूद्राक्ष प्रत्येक प्रकार के संकट क्लेश,उलझन व समस्याओं को दूर करने पराक्रम,साहस और आत्मशक्ति को बढ़ाता है।
2 घर में किसी भी प्रकार की बाधा हो जैसे भूत-प्रेत देवी बाधा,शत्रु भय आदि हो तो आप ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को अपने पूजा कक्ष में रखकर उसका नियमित पूजन करें तो शीघ्र ही लाभ मिलेगा।
3 जिस स्त्री को सन्तान नहीं हो रही हैं उसे ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को गले में धारण करने से चमत्कारी लाभ मिलता है।
4-ग्यारमुखी रूद्राक्ष को पहने से रोग-दोष से रक्षा होती है।
5-इस रूद्राक्ष को व्यवसाय स्थल में रखकर नियमित पूजन करहने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आती है।
6-जिन बच्चों को बार-बार नजर दोष लगने के कारण बीमारियां घेर लेती है। उन्हें ग्यरहमुखी रूद्राक्ष को लाल धागें में पिरोकर गले में धारण करने से अत्यन्त लाभ मिलता है।
7-ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को धारण करने से गणेश व लक्ष्मी दोनों की कृपा बनी रहती है। जिससे धन धान्य में कमी नहीं आती है।
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बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ व विधि, 12 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

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बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से सूर्य का ओज एवं तेज प्राप्त होता है।बारहमुखी रुद्राक्ष मंत्रिपद दिलाता है क्योंकि यह साक्षात सूर्य स्वरूप ही है। इसके धारण करने से धन-धान्य, मान-सम्मान की वृद्धि होती है। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते है औरअश्वमेघ यज्ञो का फल मिलता है। सूर्य को कुंडली में आत्मा, पिता, सरकार ऊर्जा इत्यादि का कारक माना जाता है। यदि किसी कारणवश जन्मपत्रिका में सूर्य कमजोर (नीच, दुःस्थान या अशुभ ग्रहों के साथ या दृष्ट हो) होता है तो धन धान्य, मान-सम्मान की कमी तथा जीवन संघर्षशील बन जाता है। बिना संघर्ष के सफलता नहीं मिलती है। जातक में निराशा तथा परेशानी छाया की तरह साथ-साथ चलती रहती है। अतः इसे समाप्त करने के लिए सूर्य का कुंडली में बलि होना अत्यंत जरुरी है।

बारहमुखी रुद्राक्ष को बारह पंथो से जोड़ कर देखा जाता है। इस रुद्राक्ष का वर्णन श्रीमद देवी भागवत पुराण में भी मिलता है। बारह मुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह: इसके देवता बारह आदित्य अर्थात बारह सूर्य हैं। बारहमुखी रुद्राक्ष को धारण कर सभी प्रकार के समस्याओ से छुटकारा पाया जा सकता है । बारह मुखी रुद्राक्ष उपासक को एक अच्छा प्रशासक बनाता है और उसे सुख और धनप्राप्ति का वरदान देता है।

बारहमुखी रुद्राक्ष से लाभ
1-सिद्ध बारह मुखी रुद्राक्ष से आर्थिक दृष्टि से व्यक्ति को समृद्ध करता है।
2-बारह मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से पारिवारिक सुख शांति मिलती है।
3-बारह मुखी रुद्राक्ष नकारात्मक विचार नष्ट होता है तथा सकारात्मक विचार का संचार होने लगता है।
4-बारह मुखी रुद्राक्ष शासकीय/प्रशासनिक शक्ति और राजत्व विधान देता है।
5-बारह मुखी रुद्राक्ष सभी प्रकार के दुर्घटनाओ से बचाने वाला बीमा (Insurance) की तरह है।
6-बारह मुखी रुद्राक्ष सभी प्रकार के रोगो से छुटकारा दिलाने में समर्थ है।
7-बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से जातक सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है।
8-बारह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति को सूर्य की तरह यशस्वी बनाता है।

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तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ व विधि, 13 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

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तेरह मुखी रुद्राक्ष "काम" का स्वरूप माना जाता है।13 मुखी रुद्राक्ष के देवता इन्द्र भगवान है।तेरह मुखी रुद्राक्ष समस्त कामनाओं की पूर्ति करता है तथा दांपत्य जीवन को सुखद एवं ख़ुशियों से भरपूर बनाता है. इच्छा भोगों की प्राप्ति होती है.
तेरह मुखी रुद्राक्ष साक्षात स्वर्ग के राजा भगवान इन्द्र देव का स्वरुप है | कामदेव का आशीर्वाद प्राप्त होने के कारण से इसके धारण करने से सभी प्रकार की कामनाएँ पूर्ण होती हैं |

तेरह मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है। इसे धारण करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला मनुष्य समस्त सांसारिक सुखों को प्राप्त करता है। तेरह मुखी रुद्राक्ष समस्त मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला मनुष्य प्रबल आकर्षण प्रभाव से युक्त होता है उसकी सभी इच्छाएँ पूरी होती है।

13 मुखी रूद्राक्ष के फायदे

1 इस रूद्राक्ष को धारण करने से भौतिक जगत की तमाम प्रकार की कामनाओं की पूर्ति होती है।
2- प्रेमी व प्रेमिका के परस्पर मिलन के लिए तेरहमुखी रूद्राक्ष धारण करना अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता है।
3- जिन व्यक्तियों के दाम्प्त्य जीवन में बाधायें आया करती है, उन्हे यह रूद्राक्ष धारण करने से आश्चर्यचकित लाभ मिलता है।
4- जिन जातकों को अधिक परिश्रम करने के बावजूद भी रात्रि को ठीक से नींद नहीं आती है, उन लोगों को तेरहमुखी रूद्राक्ष धारण करने से शीघ्र ही लाभ प्राप्त होने लगता है।
5- तेरहमुखी रूद्राक्ष पहनने से व्यक्ति में गजब का आकर्षण आता है, जिससे लोग आप से प्रभावित होते है।
6- तेरहमुखी रूद्राक्ष पहने से व्यक्ति के शरीर में असीम उर्जा का संचरण होता है, जिससे वह व्यक्ति प्रत्येक कार्य सहज तरीके से करने में सक्षम रहता है।
7- इस रूद्राक्ष को पहने से नवयुवकों की दिशा व दशा दोनों में सुधार होता है।


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चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ व विधि, 14 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

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चौदह मुखी रुद्राक्ष चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य श‍िव के समान पवित्र हो जाता है. इसे सिर पर धारण करना चाहिए.चौदह मुखी रुद्राक्ष हनुमान जी का स्वरुप है, दुर्लभ, परम प्रभावशाली व अल्प समय में ही शिवजी का सन्निधय प्रदान करने वाला है। अकाल मृत्यु रोग को टालने की अभूतपूर्व क्षमता इसमें है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष परम दिव्य ज्ञान प्रदान करने वाला होता है । इस रुद्राक्ष को धारण करने से शनि व मंगल के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है तथा शक्ति -सामर्थ्य एवं उत्साह का वर्धन करता है और संकट समय संरक्षण प्राप्त होता है ।चौदह मुखी रुद्राक्ष की पूजा सुख -सौभाग्य प्रदान करने वाली एवं व्यक्ति को निरोगी बनाता है ।

चौदह मुख वाले रुद्राक्ष में हनुमानजी की भी सम्पूर्ण शक्ति निहित रहती है । इसके असर से व्यक्ति सभी तरह के संकटों से मुक्त रहता है । हानि ,दुर्घटना ,रोग एवं चिंता से मुक्त रखकर साधक को सुरक्षा -समृद्धि देना इसका विशेष गुण है ।

चौदह मुख वाले रुद्राक्ष का महत्व इसलिए भी अधिक है ,क्योंकि भगवान शिव स्वयं चौदह मुख वाला रुद्राक्ष धारण किया करते थे ,इसीलिए चौदह मुख वाला रुद्राक्ष ही एकमात्र ऐसा रुद्राक्ष है जिसका एक दाना धारण करने से ही मनुष्य खुद साक्षात शिव स्वरूप हो जाता है ।
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गणेश रुद्राक्ष धारण करने से लाभ व विधि, गणेश मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे

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गणेश रुद्राक्ष भगवान गणेशजी का प्रतिनिधित्व करता है । इसकी आकृति भी उनके जैसी प्रतीत होती है । इस रुद्राक्ष पर सूंड के समान एक उभार होता है । इसे धारण करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है व धन -सम्पति की प्राप्ति होती है । गणपतिजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है । इनके सानिध्य को पाकर व्यक्ति सभी समस्याओं से मुक्त हो जाता है और सभी सुखों को भोगता हुआ मोक्ष को प्राप्त करता है । बुद्धि ज्ञान को बढ़ाने वाला यह रुद्राक्ष अच्छी कार्य क्षमता प्रदान करता है । नियमित रूप से इसकी पूजा -अर्चना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं व मानसिक समस्याओं का निराकरण करता है । इसे बाधाओं को दूर करने वाला व ऋद्धि -सिद्धि प्रदान करने वाला माना गया है जो व्यक्ति इसे धारण करता है ,उसे अपार समृद्धि प्राप्त होती है । यह एक दिव्य मनका है इसे पहनने से आध्यात्मिक ,मानसिक और शारीरिक लाभ मिलता है । रुद्राक्ष से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसकी प्राणप्रतिष्ठा की जनि चाहिए ।

गणेश रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष पर एक उभरी हुई सुंडाकृति बनी रहती है। उसे गणेश रुद्राक्ष कहा जाता है। यह अत्यंत दुर्लभ तथा शक्तिशाली रुद्राक्ष है। यह गणेशजी की शक्ति तथा सायुज्यता का द्योतक है। धारण करने वाले को यह बुद्धि, रिद्धी-सिद्धी प्रदान कर व्यापार में आश्चर्यजनक प्रगति कराता है। विद्यार्थियों के चित्त में एकाग्रता बढ़ाकर सफलता प्रदान करने में सक्षम होता है। विघ्न-बाधाओं से रक्षा कर चहुँमुखी विकास कराता है। यश-कीर्ति, वैभव, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा में वृद्धिकारक सिद्ध होता है।

गणेश रुद्राक्ष सभी तरह के क्लेशों का शमन करने वाला होता है । इसको देखने पर प्रतीत होता है कि इस पर भगवान गणेश की आंशिक आकृति उभरी हुई है । इसकी सतह पर बनी हुई सूंडनुमा आकृति से यह रुद्राक्ष गणेश भगवान का रूप दीखता है । विशेष फलदायी यह रुद्राक्ष की समस्याओं का समाधान स्वतः ही कर देता है । इसे गणेश चतुर्थी के दिन धारण किया जाए तो यह और भी फलदायक होता है । इसे सोमवार को लाल धागे या सोने अथवा चांदी में धारण कर सकते हैं ।
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गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से लाभ, शिव शक्ति रुद्राक्ष धारण विधि

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गौरी शंकर रुद्राक्ष भगवान शिव एवं माँ पार्वती का प्रत्यक्ष स्वरूप है | इसके धारक को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है |जिसके घर में यह रुद्राक्ष होता है वहां लक्ष्मी का स्थाई वास हो जाता है तथा उसका घर धन-धान्य, वैभव, प्रतिष्ठा और दैवीय कृपा से भर जाता है।गौरी शंकर रुद्राक्ष माता पार्वती एवं भगवान शिव का प्रतीक है जैसा क नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह रुद्राक्ष शिव पार्वती जी की एक अदभुत संगम का रुप है.
गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को सुखी दांपत्य जीवन और खुशहाल परिवार की प्राप्ति होती है और भाग्य में वृद्धि होती है और वैवाहिक जीवन में कोई समस्या नहीं आती है। यह आर्थिक दृष्टि से विशेष सफलता दिलाता है। पारिवारिक सामंजस्य, आकर्षण, मंगलकामनाओं की सिद्धी में सहायक है। धन-धान्य से परिपूर्ण करता है। लड़के या लड़की के विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर कर उत्तम वर या वधू प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है।

गौरी शंकर रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से परस्पर जुड़े दो रुद्राक्षों को गौरी -शंकर रुद्राक्ष कहा जाता है । गौरी -शंकर रुद्राक्ष को भगवान शिव और माता गौरी का रूप माना जाता है । इसलिए इसका नाम गौरी शंकर रुद्राक्ष पड़ा है । यह रुद्राक्ष एक मुख वाला तथा चौदह मुख वाले की तरह बहुत ही दुर्लभ और विशिष्ट रुद्राक्ष होता है । इसमें शंकर का वरदान और माँ पार्वती की दिव्य शक्तियाँ निहित होती है । इसको पहनने से भगवान शंकर और माता पार्वती दोनों ही समान रूप से खुश होते हैं और अनेक प्रकार वरदान और शक्तियां धारणकर्ता को प्राप्त होते हैं । माता पार्वती हमेशा ही भगवान शंकर को मनुष्यों को वरदान देने को प्रेरित करती रहती हैं । 

यह रुद्राक्ष मानव को हर तरह के रुद्राक्ष से होने वाले लाभ को अकेले ही दिलवाता है ,जो व्यक्ति एक मुख वाला अथवाचौदह मुख वाला रुद्राक्ष पहनना चाहते हों और पहन नही सकते हों उन्हें गौरी -शंकर रुद्राक्ष जरूर ही धारण करना चाहिए ,क्योंकि एक मुख वाले और चौदह मुख वाले के समान ही यह रुद्राक्ष भी हर तरह की सिद्धियों का दाता है । यह अपने आप में वशिष्ट रुद्राक्ष है ।

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महाशिवरात्रि में रुद्राक्ष पहनने से पर विशेष लाभ, रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि

हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण चतुर्दशी को मनायाजानेवाला यह महापर्व शिवरात्रि साधकों को इच्छित फलधनसौभाग्य,समृद्धिसंतान  आरोग्यता देनेवाला है।

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रुद्राक्ष का अर्थ है रुद्र अर्थात शिव की आंख से निकला अक्ष यानी आंसू।रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव के आंसुओं से मानी जाती है। इस बारे में पुराण मेंएक कथा प्रचलित है। उसके अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपने मनको वश में कर संसार के कल्याण के लिए सैकड़ों सालों तक तप किया।एक दिन अचानक ही उनका मन दु:खी हो गया। जब उन्होंने अपनी आंखेंखोलीं तो उनमें से कुछ आंसू की बूंदे गिर गई। 
इन्हीं आंसू की बूदों से रुद्राक्ष नामक वृक्ष उत्पन्न हुआ। शिवमहापुराण कीविद्येश्वरसंहिता में रुद्राक्ष के 14 प्रकार बताए गए हैं। सभी का महत्व धारण करने का मंत्र अलग-अलग है। इन्हें माला के रूप में पहनने सेमिलने वाले फल भी भिन्न ही हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इन रुद्राक्षों को महाशिवरात्रि  के दिनविधि-विधान से धारण करने से विशेष लाभ मिलता है। जानिए रुद्राक्ष केप्रकारउन्हें धारण करने के मंत्र तथा होने वाले लाभ के बारें में

1- 
एक मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप है। यह भोग और मोक्ष प्रदानकरता है। जहां इस रूद्राक्ष की पूजा होती हैवहां से लक्ष्मी दूर नहीं जातीअर्थात जो भी इसे धारण करता है वह कभी गरीब नहीं होता।
धारण करने का मंत्रऊँ ह्रीं नम:

2- 
दो मुखवाला रुद्राक्ष देवदेवेश्वर कहा गया है। यह संपूर्ण कामनाओं औरमनोवांछित फल देने वाला है। जो भी व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता हैउसकी हर मुराद पूरी होती है।
धारण करने का मंत्रऊँ नम:
3- 
तीनमुख वाला रुद्राक्ष सफलता दिलाने वाला होता है। इसके प्रभाव से जीवन मेंहर कार्य में सफलता मिलती है तथा विद्या प्राप्ति के लिए भी यह रुद्राक्षबहुत चमत्कारी माना गया है। धारण करने का मंत्रऊँ क्लीं नम:

4- 
चारमुख वाला रुद्राक्ष ब्रह्माका स्वरूप है। उसके दर्शन तथा स्पर्श से धर्मअर्थ,काम  मोक्ष की प्राप्ति होती है। धारण करने का मंत्रऊँ ह्रीं नम:

5 - 
पांचमुख वाला रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र स्वरूप है। वह सब कुछ करने में समर्थ है।सबको मुक्ति देने वाला तथा संपूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है।इसको पहनने से अद्भुत मानसिक शक्ति का विकास होता है। धारणकरने का मंत्रऊँ ह्रीं नम:

6 - 
छ: मुखवाला रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप है। इसे धारण करने वालाब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है। यानी जो भी इस रुद्राक्ष को पहनताहैउसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। धारण करने का मंत्रऊँ ह्रीं हुं नम:

7- 
सातमुख वाला रुद्राक्ष अनंगस्वरूप और अनंग नाम से प्रसिद्ध है। इसे धारणकरने वाला दरिद्र भी राजा बन जाता है। यानी अगर गरीब भी इस रुद्राक्षविधिपूर्वक पहने तो वह भी धनवान बन सकता है। धारण करने का मंत्रऊँहुं नम:

8 - 
आठ मुखवाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरवस्वरूप है। इसे धारण करने वाला मनुष्यपूर्णायु होता है। यानी जो भी अष्टमुखी रुद्राक्ष पहनता है उसकी आयु बढ़जाती है और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। धारण करने कामंत्रऊँ हुं नम:

9 - 
नौ मुखवाले रुद्राक्ष को भैरवतथा कपिल-मुनि का प्रतीक माना गया है। भैरवक्रोध के प्रतीक हैं और कपिल मुनि ज्ञान के। यानी नौमुखी रुद्राक्ष को धारणकरने से क्रोध पर नियंत्रण रखा जा सकता है साथ ही ज्ञान की प्राप्ति भी होसकती है। धारण करने का मंत्रऊँ ह्रीं हुं नम:

10 - 
दस मुखवाला रुद्राक्ष भगवान विष्णु का रूप है। इसे धारण करने वाले मनुष्यकी संपूर्ण कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। धारण करने का मंत्रऊँ ह्रीं नम:

11 - 
ग्यारहमुखवाला रुद्राक्ष रुद्ररूपहै। इसे धारण करने वाला सर्वत्र विजयी होता है।यानी जो इस रुद्राक्ष को पहनता हैकिसी भी क्षेत्र में उसकी कभी हार नहींहोती। धारण करने का मंत्रऊँ ह्रीं हुं नम:

12- 
बारहमुखवाले रुद्राक्ष को धारण करने पर मानो मस्तक पर बारहों आदित्यविराजमान हो जाते हैं। यानी उसके जीवन में कभी इज्जतशोहरतपैसाया अन्य किसी वस्तु की कोई कमी नहीं होती। धारण करने का मंत्रऊँ क्रौंक्षौं रौं नम:

13 - 
तेरहमुख वाला रुद्राक्ष विश्वदेवोंका रूप है। इसे धारण कर मनुष्य सौभाग्य औरमंगल लाभ प्राप्त करता है। 
धारण करने का मंत्रऊँ ह्रीं नम:

14 - 
चौदहमुख वाला रुद्राक्ष परम शिवरूप है। इसे धारण करने पर समस्त पापोंका नाश हो जाता है।
धारण करने का मंत्रऊँ नम:

शिवमहापुराण के अनुसार रुद्राक्ष को आकार के हिसाब से तीन भागों मेंबांटा गया है-

1- 
उत्तमश्रेणीजो रुद्राक्ष आकार में आंवले के फल के बराबर हो वह सबसेउत्तम माना गया है।
2- 
मध्यमश्रेणीजिस रुद्राक्ष का आकार बेर के फल के समान हो वह मध्यमश्रेणी में आता है।
3- 
निम्नश्रेणीचने के बराबर आकार वाले रुद्राक्ष को निम्न श्रेणी में गिना जाताहै।

वहीं जिस रुद्राक्ष में अपने आप डोरा पिरोने के लिए छेद हो गया होवहउत्तम होता है।
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