Saturday, 2 December 2017

एक मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व,एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि


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एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का प्रतीक मन जाता है | इसे धारण करने वाले पर भगवान शिव की कृपा रहती है | इसे सभी प्रकार के रुद्राक्षों में दुर्लभ माना गया है | यह मन की एकाग्रता बढ़ता है और अध्यात्म में रूचि जगाता है |

एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ मन की एकाग्रता , शिवकृपा, सूर्य ग्रह की अनुकूलता, सूर्यकृत अशुभ योगो का नाश यदि जन्मपत्रिका में सूर्य नीच या ख़राब स्थिति में हो या फिर ग्रहण योग का निर्माण कर रहा हो अथवा सूर्य ग्रह की दशा चल रही हो तो इस रुद्राक्ष को धारण करना बहुत अच्छा होता है | यदि आप राजनीति में सफलता चाहते हैं तो भी यह आपके लिए लाभदायक रहेगा | इसे धारण करने वाले को समाज में मान सम्मान प्राप्त होता है.

एक मुखी रुद्राक्ष काजू के समान अर्थात अर्धचंद्राकार स्वरुप में प्राप्त होते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष गोल आकार में सरलता से प्राप्त नहीं होता हैं। क्योकि गोलाकार में मिलना दुर्लभ मानागया हैं।स्वयं शिव का स्वरूप माने जाने वाला यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करने वाला होता है.
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दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि, दो मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व

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दो मुखी रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप द्वारा नियंत्रित है । इस रुद्राक्ष के धारण करने से पति पत्नी में या परिवार में परस्पर श्रदधा और विश्वास की प्राप्ति होती है तथा वे सत्सन्तति से युक्त होकर सफल गृहस्थ जीवन व्यतीत करने में सक्षम होते है । यह विशेष रूप से गुरु-शिष्य, पिता-पुत्र व मित्रोके सबंधोमे मतभेदों को दूरकर एकता पैदा करता है ।

दो मुखी रूद्राख गौ हत्या से लगने वाले पाप से मुक्ति दिलाने वाला होता है। यह रूद्राक्ष अपने-आप में आलौकिक शक्ति धारण किये रहता है। द्विमुखी रूद्राक्ष को शरीर के किसी भी अंग में धारण से मानसिक शन्ति एंव पारिवार में आपसी प्रेम व सौहार्द्ध बना रहता है। यदि कार्य व व्यापार में निरन्तर हानि हो रही है, तो दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से लाभ मिलता है। मन, बुद्धि, विवेक पर इस रूद्राक्ष का विशेष प्रभाव रहता है। 

जिन जाताकों के वैवाहिक जीवन में आपसी अनबन की स्थिति बनी रहती है तो वह लोग पति व पत्नी दोनों को दो मुखी रूद्राक्ष भिमन्त्रित करके गले में धारण करने से शीघ्र ही मतभेद दूर होकर उनमें एकता व परस्पर प्रेम की भावना बलवती होने लगती है। जिन युवक-युवितियों के विवाह में बिलम्ब या बाधा आ रही है, उन्हे यह रूद्राक्ष धराण करने से शुभ परिणाम मिलते है।
दो मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान अर्ध नागेश्वर का स्वरुप है। जो लोग दोमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं या उसकी नित्य पूजा करते हैं वह गौ वध पाप से मुक्त हो जाते हैं तथा सभी मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा भी देखा गया है की जो सुहागन औरतेदो मुखी रुद्राक्ष धारण करती हैं वे सदा सुहागन ही मृत्यु कों प्राप्त करती हैं।

ऐसे व्यक्ति जो दोमुखी रुद्राक्ष धारण करते है या उसकी पूजा करते हैं उनके घर में सभी प्रकार की सामग्रियां उपस्थित रहती हैं। जो साधक शिव शक्ति की आराधना करते हैं ऐसे साधको कों दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।

यह बेहद दुर्लभ और कल्याणकारी रुद्राक्ष है। यह रुद्राक्ष दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए लाभकारी होता है।यहरुद्राक्ष कई तरह की शारीरिक बिमारियों जैसे मोटापे,हृद्य दोष आदि से मुक्ति दिलाता है। कर्क राशि के जातकों के लिए दो मुखी रुद्राक्ष लाभकारी है।दोमुखी रुद्राक्ष- दोमुखी रुद्राक्ष को देवदेवेश्वर कहा गया है। सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसे धारण करना चाहिए

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तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि,तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व

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तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि देव का स्वरूप माना गया है. इस त्रिमुखी मुखी रुद्राक्ष के सत्तारूढ़ ग्रह मंगल हैं. यह रूद्राक्ष स्त्री हत्या जैसे पापों से मुक्ति दिलाता है. इस रूद्राक्ष को पहनने से व्यक्ति हीन भावनाओं से मुक्त होता है. इसे धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है. यह तीन मुखी रुद्राक्ष चिंताओं मानसिक परेशानियों को समाप्त करने में सहायक होता है.तीन मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का रूप भी माना गया है.

तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरुप माना गया है | जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को भी शुद्ध कर देती है उसी प्रकार अग्नि का स्वरुप होने के कारण यह रुद्राक्ष शरीर को शुद्ध करने में सहायक होता है |

तीन मुखी रुद्राक्ष के लाभ-जिस व्यक्ति का मन किसी काम में ना लगता हो या जीवन जीने का आनन्द समाप्त हो चुका हो, शरीर किसी न किसी प्रकार के बुखार से पीड़ित रहता हो, भोजन खाने पर पेट की अग्नि मंद होने के कारण से भोजन के ना पचने के रोग में यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभदायक साबित होता है | अग्नि को तीव्र करके पाचक क्षमता बढ़ने से चेहरा पे तेज एवं शौर्य एवं बल की प्राप्ति कराता है | सभी प्रकार की आपदाओं से मुक्त कराने में तीन मुखी रुद्राक्ष अच्छा काम करता है | नौकरी करने वाले और पेट से सम्बंधित कष्ट पाने वालों के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत लाभदायक है | ग्रंथों के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से नारी हत्या के पाप से भी मुक्ति मिलनी संभव हो सकती है |

त्रिमुखी मुखी रुद्राक्ष के लाभ इसे पहने से रक्त में शुद्धता बनी रहती है, व्यक्ति स्वस्थ और सक्रिय रहता है. इसे धारण करने से आत्मविश्वास और ऊर्जा शक्ति में वृद्धि होती है. यह खेल में सफलता प्रदान करता है. जैसे अग्नि प्रत्येक वस्तु को शुद्ध कर देती है उसी प्रकार तीन मुखी पहनने वाला व्यक्ति भी अपने पापों का शमन कर देता है. पापों से मुक्त हो शुद्ध होकर सात्विक जीवन जीता है.
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चार मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व, 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि


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चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है। इसे ब्रह्मा तथा देवी सरस्वती का प्रतिनिधि माना गया है। चार-मुखी रुद्राक्ष चतुर्मुख ब्रह्माजीका प्रतिरूप होने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थो को देने वाला है। इसका धारक धनाढ्‌य, आरोग्यवान, ज्ञानवान बन जाता है | चार मुखी रुद्राक्ष वृद्धिदाता है | जिस बालक की बुद्धि पढ़ने में कमजोर हो या बोलने में अटकता हो उसके लिए भी यह उत्तम है | चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से नर हत्या का पाप समाप्त होता है।

चार मुखी रुद्राक्ष में ऊपर से नीचे तक दो रेखाएँ सामन दूरी पर बनी होती हैं और ये इस फल के खिलते ही बनना शुरू हो जाती है और अपना आकार लेती है| यह रुद्राक्ष विश्व रचयिता ब्रह्मा का प्रतीक है और और धारक को चार लाभ प्रदान करता है| धार्मिक विश्वास, आर्थिक मजबूती, शारीरिक हित और मोक्ष प्राप्ति|

चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक रोगों में शांति मिलती है तथा धारण का स्वास्थ्य ठीक रहता है | इसे धारण करने से नर-हत्या का पाप दूर होता है | बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति तथा सभी प्रकार के मानसिक रोग दूर होते हैं. शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम रहता है यह रुद्राक्ष सृजनशील व्यक्ति के लिए बहुत उपयोगी है| यह रुद्राक्ष डा. इंजीनियर, अध्यापक आदि को भौतिक कार्य करने में सहायता प्रदान करता है। चार मुखी रुद्राक्ष मिथुन राशि के लिए शुभ होता है।

4 मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा जी का स्वरूप माना गया है यह चारों वेदों का रूप है। मनुष्य को धर्म, अर्थ काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला है इसे धारण करने से मानसिक रोग दूर होते है। तथा मन में सात्विक विचार उत्पन्न होते हैं एवं धर्म में आस्थाबढ़ती है।
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पांच मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व, 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि


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पंचमुखी रुद्राक्ष साक्षात् रूद्र का रूप है। इसका अधिपति ग्रह वृहस्पति है।वृहस्पति ग्रह की प्रतिकूलता के निवारण के लिए इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। यह पोखराज रत्न से भी अधिक प्रभावशाली है। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने वालों को सुख, शांति तथा प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। ह्रदय रोगियों के लिए तो यह रामबाण ही है। इससे आत्मविश्वास, मनोबल तथा ईश्वर के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुरक्षित विकल्प है जो हर किसी – स्त्री, पुरुष, बच्चे, हर किसी के लिए अच्छा माना जाता है। यह सेहत और सुख की दृष्टि से भी फायदेमंद हैं, जिससे रक्तचाप नीचे आता है और स्नायु तंत्र तनाव मुक्त और शांत होता है।पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से संतान एवं धन सुख प्राप्त होता है.
5 मुखी रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा के बचने के एक असरदार कवच की तरह काम करता है। कुछ लोग नकारात्मक शक्ति का इस्तेमाल करके दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह अपने आप में एक अलग विज्ञान है। अथर्व वेद में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है कि कैसे ऊर्जा को अपने फायदे और दूसरों के अहित के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। इन सभी स्थितियों में रुद्राक्ष कवच की तरह कारगर हो सकता है।
5 मुखी रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है। जो आपके लिए आप की ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं।

पंचमुखी रुद्राक्ष धारण विधि तथा मन्त्र

पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए तदुपरांत गृह में स्थित मंदिर में विधिपूर्वक विनियोग, ऋष्यादिन्यास,करादिन्यास, हृदयादिन्यास तथा ध्यान करना चाहिए उसके बाद पंचमुखी रुद्राक्ष के लिए निर्धारित मन्त्र का जप करना चाहिए।
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छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि, 6 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व


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छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसके संचालक ग्रह शुक्र है। इसे शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है। इसे धारण करने से आरोग्यता,श्री एवं शक्ति प्राप्त होती है।छह मुखी रुद्राक्ष अपने उपासक को सफ़लता, महिमा, प्रसिद्धि, ताकत, बुद्धि, शक्ति, और बहुत कुछ दिलाता है।छह मुखी रुद्राक्ष को पहनने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा व्यक्ति आंतरिक सुषुप्त शक्तियाँ जागृत होती है।

छः मुखी रुद्राक्ष बुद्धि को बढ़ाता है और यादास्त तेज करता है। 6 मुखी रुद्राक्ष विद्वानों और छात्रों और रचनात्मक कार्यों से जुड़े व्यक्तियों के लिए अत्यंत लाभकारी है| श्वास रोग, रक्तचाप और हृदय सम्बंधित रोगों के उपचार में भी 6 मुखी रुद्राक्षकाफी सहायक साबित होता है| इसे धारण करने के बाद धारक मानिसक तौर पर सतर्क और जोश से भरपूर रहता है| और धन-संपत्ति और जायदाद सम्बंधित समस्याओं से धारक को सुरक्षित रखता है|

छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है | यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को दाई भुजा में धारण करना चाहिए | इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेत्रित्व करने का गुण आ जाता है | भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है | छह मुखी रुद्राक्ष के साथ यदि दाई और बाई ओर एक एक पांच मुखी का रुद्राक्ष भी धारण किया जाए तो अति उत्तम होता है |भगवान कार्तिके की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सांसारिक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करके जीवन के स्तर को अति उत्तम बनाता है |

बचपन में जिन बालकों की बुद्धि अधिक तीव्र नहीं होती या परीक्षा के समय में बालक को चिंता होती है, ऐसे बालकों को दोपांच मुखी के बीच में एक छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से परीक्षा में सफलता मिलती है इसलिए विशेष कर सभी बालकों को जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने चाहिए |आरोग्यता तथा दीर्घायु प्राप्ति के लिए वृष व तुला राशि तथा मिथुन, कन्या, मकर व कुंभ लग्न वाले जातक इसे धारण कर लाभ उठा सकते हैं। यह विद्या, ज्ञान, बुद्धि का प्रदाता है.

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सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने की नियम और विधि, 7 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ, मंत्र और महत्व


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सात मुखी रुद्राक्ष के ऊपर सात धारियां हैं, तो वह सातमुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। इस रुद्राक्ष को सप्तऋषियों का प्रतीक माना जाता है। सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अथवा इसकी नित्य पूजा करने से मनुष्य को प्रसिद्धि, आर्थिक लाभ, सम्मान, पदोन्नति, प्राप्त होती है।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण से दृश्य अदृश्य ऋषि मुनियों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है. सात मुखी रुद्राक्ष ज्ञान, बल सुरक्षा प्रदान करते हुते आर्थिक उन्नति देता है. यह व्यापार और नौकरी में भी लाभकारी होता है. यह शरीर में सम्मोहन आकर्षण भी बढ़ाता है. अच्छी किस्मत, धन और शक्ति को बढा कर उपासक को जीवन में, खासकर व्यवसाय में, सफ़लता दिलाता है। अच्छी सेहत पाने और बचाए रखने में भी यह रुद्राक्ष मदद करता है।

सात मुखी रुद्राक्ष के धारण से एैसे मनुष्य जिनका भाग्य उनका साथ नहीं देता और नौकरी या व्यापार में अधिक लाभ नहीं होता एैसे जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इसके धारण से धन का अभाव व् दरिद्रता दूर होकर व्यक्ति को धन, सम्पदा, यश, कीर्ति एवं मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है चूँकि इस रुद्राक्ष पर लक्ष्मी जी की कृपा मानी गई है और लक्ष्मी जी के साथ गणेश भगवान की भी पूजा का विधान है इसलिए इस रुद्राक्ष को गणपति के स्वरुपआठ मुखी रुद्राक्ष के साथ धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है |

ग्रन्थों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि देव का प्रभाव माना गया है इसलिए जो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हों या जोड़ो के दर्द से परेशान हों उनके लिए शनि देव की कृपा प्राप्त होने के कारण से यह रुद्राक्ष लाभदायक हो सकता है |
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